अन्नकूट लूट में उमड़े श्रद्धालु

सांवलिया मंदिर में अन्नकूट महोत्सव
मण्डफिया, १९ अक्टू.( प्रासं)। राजस्थान के प्रमुख तीर्थस्थल सांवलियाजी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर रात्रि १०.३० बजे अन्नकूट लूट कार्यक्रम हुआ जिसमें हजारों भक्तों ने ''हाथी घोड़ा पाल की जय कन्हैयालाल की'' की गूंज के साथ खूब प्रसाद लूटने का आनन्द लिया।

पूरे गांव से लिया जाता है चन्दा

मंदिर बोर्ड चेयरमेन कन्हैयालाल वैष्णव के नेतृत्व में बोर्ड सदस्य सत्यनारायण शर्मा, कांग्रेस नेता भेरूलाल गुर्जर, मन्दिर के प्रशासनिक अधिकारी भगवान लाल चतुर्वेदी, पूर्व उप सरपंच आजाद हुसैन, लक्ष्मीलाल ओझा, कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष गौतमलाल जैन, मंदिर के पूर्व चेयरमेन कालूराम गुर्जर, पं.स. सदस्य मनोहरलाल जैन, ममतेश शर्मा, अशोक कुमार बंसल, पटेल रामलाल गुर्जर सहित कई पंच-पटेलों ने पूरे कस्बे का भ्रमण कर घर-घर से अन्नकूट प्रसाद के लिए चन्दा उगाही की। परम्परागत पूरे गांव से चन्दा लिया जाता है। इस चन्दे में बगैर भेदभाव के हिन्दू और मुस्लिम भाई प्रेमपूर्वक चन्दा देते हैं। इससे साम्प्रदायिक सौहार्द्र की झलक देखी जा सकती है।
चन्दा उगाही में लोग अपनी इच्छानुसार चन्दा देते हैं और कोई नहीं भी देता है फिर भी समान रूप से सभी के घरों में चार शुद्ध घी के बने मालपुए का प्रसाद रात्रि १२ बजे के बाद भेजा जाता है। यह कार्यक्रम भौर तक जारी रहता है।
सांयकाल आस-पास के गांवों के लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। रात्रि १०.३० बजे सांवलियाजी सेठ की आरती समाप्ति के बाद मंदिर में अन्नकूट लूट कार्यक्रम हुआ। इस मौके पर मन्दिर में हजारों लोग उमड़े। गरीब हो या अमीर, सभी ने बड़े उत्साह से प्रसाद लूटने का आनन्द लिया। इधर देवकी धर्मशाला में रात्रि ११ बजे बाद अन्नकूट भोज शुरू हुआ। जिसमें हजारों लोगों ने मालपुए सहित भोजन ग्रहण किया।
रात्रि १२.३० बजे कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष कालूलाल तेली, दिनेश चन्द्र तिवारी सहित कई मन्दिर कर्मचारियों ने घर-घर जाकर मालपुए के पैकेट का वितरण किया।
इससे पूर्व दोपहर बाद ३.३० बजे मन्दिर प्रांगण में गौ पूजन हुआ। सांवलियाजी मन्दिर गौशाला की चुनिंदा गायों की मन्दिर चेयरमेन कन्हैयालाल वैष्णव, वार्ड सदस्य सत्यनारायण शर्मा, प्रशासनिक अधिकारी भगवानलाल तिवारी, केशियर नन्दकिशोर टेलर एवं पंडित विश्वनाथ आमेटा ने विधिवत पूजा कर गायों को लापसी खिलाई तत्पश्चात् आतिशबाजी से गायों को रिझाया गया। आतिशबाजी के दौरान हर साल की तरह इस बार भी शांति भंग हुई। कई जनें आपस में लडऩे लगे। कुछ शरारती तत्वों ने आड़े-तिरछे राकेट छोड़े। जिसमें कई लोग बाल-बाल बचे। परम्परा के नाम गायों पर जुल्म एवं आतिशबाजी गलत तरीके से होना ग्रामीणों को रास नहीं आ रहा है।

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