मेरे मन मंदिर में


जब से बसा लिया मन, सांवरिया तेरी गली में |
पी लिया अमृत मैने, तेरी बांसुरी की धुन में ||

तोड़ दिए है मैने सारे नाते, इस बैरी जग के |
अब जाओ मनमोहन, मेरे मन मंदिर में |


:-Shekhar Kumawat

1 comment:

वीरेंद्र रावल said...

भाव तो सुन्दर बनाये शेखर जी ,
कृष्ण के बारे में तो लिखना वैसे ही दुर्लभ लोगो को मिलता हैं पर फिर भी उसके चक्कर में मत पढना .क्योंकि

जब वो अंदर तक आ जायेगा मौत सा दर्द दे जायेगा
कृष्ण नाम एक छलिये बस क्षण में चैन लूट ले जायेगा
उसके चक्कर में ना पड़ो शेखर वो तो प्रेम व्यापारी हैं
दिल दिमाग को तहस नहस करने वाला व्यभिचारी हैं
बातो से वो पार हैं पर मीठे बोल सुनाता हैं
सब कुछ छीन लेता हैं पर झूठ सारे रचाता हैं

भक्ति का बस ढोंग करेगा लूट लेगा तेरी दुनिया सारी
"वीरेन " लुटा और लुट गयी वृन्दावन की राधा प्यारी

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!! श्री हरि : !!
बापूजी की कृपा आप पर सदा बनी रहे

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