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कवि सम्मेलन के आरम्भ में श्वेता सरगम ने सर्वप्रथम सरस्वती वंदना पेश की। कवि सम्मेलन में कवि नरेन्द्र मिश्र ने चित्तौडगढ के इतिहास को अपनी कविताओं के माध्यम से वर्णित कर खूब दाद लूटी। नरेन्द्र मिश्र ने पद्मिनी के जौहर पर 'जिंदा जल गई मगर अपनी तेजस्वी आन न जाने दी, अपने जौहर से रानी ने मेवाडी मिट्टी की महक नहीं जाने दी' पेश की।
कवि सम्मेलन
में शालीनी सरगम में 'आधी उम्र कट चुकी है, प्रिय तेरे प्यार में' श्रृंगार रस की कविता पेश की। उदयपुर से आए अजातशत्रु ने 'कानों को प्यारी कुंवारी की बालिया', 'प्यारी कुर्सी मुझे भी दिलवादो, ओ गणपति बप्पा मोरिया' पेश की। कवि शंकर सुखवाल ने पैरोडी से शुरूआत करने के बाद 'देश के आकाओं करो युद्ध की तैयारी' कविता पेश की।
इस दौरान कवयित्री श्वेता सरगम, कवि मुजफ्फनगर अशोक ,बलवन्त बिल्लु, नरेन्द्र बंजारा, कवियित्री अर्चना अंजुम आदि ने कविताएं पेश की। कवि जानी बैरागी ने पैरोडियों से सबको गुदगुदाया तथ सुरेश बैरागी ने मंच का संचालन किया। कवि सम्मेलन में श्रोतागण भोर तक काव्य रस का आनन्द लेते रहे।
राजनीति से ऊपर उठकर निभाएं भागीदारी
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष एवं सांसद डॉ. गिरिजा व्यास ने कहा कि सांवलियाजी मेले के आयोजन में जन भागीदारी राजनीति से उपर उठ कर सामाजिक सरोकार व धार्मिक आस्था के साथ निभाएं। डॉ. व्यास रविवार रात भगवान सांवलियाजी के जल-झूलनी एकादशी मेलेपर आयोजित कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि पद से सम्बोधित कर रही थी।
समारोह में मेवाड की धरती पर पधारे कवियों का सांसद व्यास ने स्वागत उद्बोधन के साथ एक कविता 'आकाश में उडते परिन्दे कैसे प्यास बुझाए' नामक प्रस्तुत की। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर विधायक शंकरलाल बैरवा ने मेले में भाग लेने आए श्रद्धालु एवं कवियों का स्वागत किया। मन्दिर मण्डल अध्यक्ष कन्हैयादास वैष्णव, सदस्य सत्यनारायण शर्मा व सरपंच हजारीदास वैष्णव ने सांसद व्यास, विधायक बैरवा व कवियों का स्वागत किया।
प्राकट्य स्थल पर भी उमडा सैलाब
मण्डफिया। जिले के भादसौडा चौराहा स्थित श्री सांवलियाजी के प्राकटय स्थल मन्दिर के जल-झूलनी एकादशी मेले की रथ यात्रा का सानिध्य पाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड पडा। सोमवार को रथ यात्रा का शुभारंभ भादसौडा कस्बा स्थित भगवान सांवलियाजी के मन्दिर से हुआ। रथयात्रा में प्रात: 10 बजे भगवान के बाल स्वरूप को रथ पर स्थापित कर हाथी-घोडा पालकी के जय उद्घोष के साथ आरम्भ हुई।
सजे-धजे अश्व नृत्य करते हुए तो हाथी श्रद्धालुओं का अभिवादन करते हुए चल रहे थे। रथ यात्रा दोपहर 2 बजे जब चौराहा स्थित प्राकटय स्थल मन्दिर पर पहुंची। बाल स्वरूप भगवान को जल में झुलाया गया, इनकी विशेष आरती की गई। हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान के संग फाग खेली। मन्दिर मण्डल उपाध्यक्ष बाबूलाल ओझा, गंगाराम चौधरी, कार्यपालक अधिकारी राजेन्द्र सोमाणी, उपसरपंच अशोक अग्रवाल, पूर्व सरपंच नरेन्द्र खेरादियों सहीत बडी संख्या में ट्रस्टी भी उपस्थित थे।
सांवरा के संग हजारों ने लगाई डुबकी
जलझूलनी एकादशी के अवसर पर निकाली गई रथ यात्रा में भगवान के साथ हजारों भक्तों ने सोमवार शाम डुबकी लगाई।
उपन्नों से किया स्वागत
जलझूलनी एकादशी मेले पर रथ यात्रा में सम्मिलित होने आए कस्बे के श्रद्धालुओं का मन्दिर परिसर में मन्दिर मण्डल अध्यक्ष ने उपन्ना [केसरिया पट्टी] पहना कर स्वागत किया।
पांच रेवाडियों का संगम
जलझूलनी पर सांवलिया घाट पर भगवान सांवलिया सेठ अकेले ही जल में झूलने नहीं जाते। कस्बे में कुरेठा नाका मन्दिर, राधाकृष्ण मन्दिर, नीम चौक मन्दिर, कार्तिक स्वामी मन्दिर व गिदाखेडा गांव के मन्दिर की रेवाडिया भी एक साथ जल में झूलने की परम्परा रही है।
आकाश पर टिकी नजरें
भगवान सांवलिया सेठ के जलझूलनी एकादशी मेले के रथ यात्रा समापन्न पर पूर्णिमा फायर वक्र्स जयपुर की ओर से सतरंगी आतिशबाजी कर हजारों श्रद्धालुओं को आनन्दित कर दिया। सोमवार को रात्रि मंदिर मण्डल की ओर से एक घंटे की रंगीन आतिशबाजी की गई। सुनहरी, अशरफी, सफेद व बैंगनी झरने, झाड एवं झूमर के रूप में आतिशबाजी की गई।
सांवलियाजी मन्दिर के बाहर स्थित मंच पर विनोद राठोड एवं दल द्वारा रात भर लोक भजनों एवं नृत्यों की प्रस्तुति के साथ रात भर श्रद्धालुओं को भक्ति में डूबोए रखा, इधर गोवर्धन बस स्टैण्ड के मंच पर सिमोन एवं पूजा ग्रुप का समृद्धि फिल्मस की ओर से रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम रात भर जमा रहा।
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