सांवलिया सेठ मन्दिर प्रांगण के उत्तर - पश्चिम भाग में एक गोल चबूतरा निर्मित हें , जिसके केन्द्र में इमली का पेड़ लगा हुआ हें | वही दक्षिण की ओर मुंह किए लगभग 1x1 फीट की काले पत्थर की प्रतिमा प्रतिष्ठित हें | पीढी दर पीढी सेवा करते आए पुजारियों से ज्ञात हुआ हें की उन्हें ' इमली वाले बावजी ' के नाम से जाना जाता हें | उक्त मूर्ति की स्थापना प्रभु सांवलिया जी के साथ ही हुई थी | सदेव धार्मिक आयोजनों में मुख्य मन्दिर की पूजा - अर्चना से पूर्व अत्यन्त चमत्कारी ' इमली वाले बावजी ' का पूजन होता हें एवं पुजारी परिवार अपने - अपने क्रमानुसार (ओसरा ) सांवलिया सेठ के साथ - साथ इनकी भी तन मन से सेवा करते हें |
लेखक
(अमृत 'वाणी')
संवारा सेठ चालीसा पेज क्रमांक 59 से लिया गया हे |
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(अमृत 'वाणी')
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