चितौडगढ।देश के प्रमुख धार्मिक स्थल श्री सांवलिया सेठ मंदिर के सालाना करोडों रूपए के चढावे पर कईयों की नजरें गढने लगी हैं। चढावा राशि का उपयोग अन्य मद में होने की संभावना के चलते श्रद्धालुओं की चिंता बढने लगी है। मुख्य निष्पादन अधिकारी की नियुक्ति भी असरकारक नहीं होने से मंदिर पर प्रशासनिक पकड भी ढीली होती जा रही हैं।
चितौडगढ जिले के मण्डफिया स्थित आस्था एवं विश्वास के प्रतीक सांवरिया सेठ मंदिर के दर्शन के लिए प्रतिदिन सैकडों श्रद्धालु देश के कोने-कोने से आते हैं। प्रत्येक अमावस्या व जलझूलनी पर्व पर मंदिर में श्रद्धा का सैलाब उमड पडता है। मंदिर की व्यवस्थाओं पर नजर रखने के लिए श्री सांवलिया मंदिर मण्डल ट्रस्ट भी गठित है। चार वर्ष से ट्रस्ट व्यवस्थाओं को संभाले है। मंदिर का चौथा जीर्णोद्धार का कार्य भी अंतिम चरण में है। करीब प“ाीस करोड रूपए अभी तक चौथे जीर्णोद्धार पर खर्चे हो चुके हैं। मंदिर करीब सौ बीघा क्षेत्र में फैला है। मंदिर परिसर के विस्तार को देखते हुए सौ बीघा भूमि और अवाप्त करने की प्रक्रिया जारी है।
सालाना करोडों का चढावा
मंदिर में श्रद्धालु दिल खोल कर दान करते हैं। प्रत्येक माह मंदिर का दानपात्र खुलता है तो उसमें करीब पचास लाख से अधिक का चढावा निकलता है। त्योहारी मौसम में चढावा एक करोड को पार कर जाता है। चढावे की राशि मंदिर के जीर्णोद्धार, सुविधाओं व व्यवस्थाओं पर ही खर्चे होती है।
नहीं मिल पाता समय
श्री सांवलिया सेठ मंदिर की व्यवस्थाओं पर सरकारी नजर के लिए राज्य सरकार ने मुख्य निष्पादन अधिकारी का पद सृजित कर रखा हैं। मुख्य निष्पादन अधिकारी का पद अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन ही संभालते आए हैं। लेकिन प्रशासनिक कार्यों की अत्याधिक व्यस्तता के चलते अधिकांश अतिरिक्त जिला कलक्टर पर्याप्त समय मंदिर को नहीं दे पाते हैं। ऎसे हालात के चलते मंदिर पर प्रशासनिक पकड ट्रस्ट के सहारे ही बनी हुई है।
बढ रहा है दबाव
बढती चढावा राशि अब अन्य की नजरों में भी खटकने लगी है। चढावे की राशि का उपयोग अन्य मद में करने के लिए विभिन्न स्तरों से ट्रस्ट व मुख्य निष्पादन अधिकारी पर दबाव बढने लगा है। कई मौके पर राशि का खर्च मंदिर के अलावा अन्य मदों पर भी हो जाता है।कूल बनाने, आंगनबाडी केन्द्र संचालित करने, पोषाहार दिलवाने, बीमार व घायलों को सहायता राशि दिलवाने, इनाम व इकराम पर खर्चे करने, सडक बनाने और अन्य क्षेत्रों में विकास कार्य करवाने के प्रस्ताव मुख्य निष्पादन अधिकारी के समक्ष आए हैं।
मंदिर का विकास सर्वोपरि
कार्यकाल के दौरान कई सुझाव मिलें, लेकि न प्रस्ताव तक सीमित रखा। चढावे पर सिर्फ मंदिर का हक है, इसका लाभ श्रद्धालुओं को मिले और मंदिर का विकास हो यही प्रयास रहे। प्रशासनिक कार्य की अधिकता होने से मुख्य निष्पादन अधिकारी का भार स्वतंत्र होना अपेक्षित है।
- बीएल कोठारी, निवर्तमान मुख्य निष्पदान अधिकारी।
स्वतंत्र प्रभार जरूरी
मंदिर की व्यवस्थाओं के लिए मुख्य निष्पादन अधिकारी का स्वतंत्र प्रभार होना चाहिए। इससे रोजाना मंदिर में उनका आना और व्यवस्थाओं पर नजर रखना संभव हो सकेगा। मंदिर से क्षेत्र के गांवों का अधिकाधिक जुडाव के लिए ही सडक निर्माण कार्य किया जा रहा है।
- कन्हैयादास वैष्णव, अध्यक्ष श्री सांवलिया मंदिर ट्रस्ट, मण्डफिया
नहीं हो दुरूपयोग
सांवलिया सेठ के मंदिर में राजनीति नहीं होनी चाहिए। चढावा राशि में से बारह लाख रूपए रथ व एक करोड रूपए चिकित्सालय के लिए दिए गए। ये निर्णय अनुचित था। मंदिर के रूपए पर सिर्फ श्रद्धालुओं का हक है। मुख्य निष्पदान अधिकारी का पद स्वतंत्र नहीं होने से एसडीएम कोर्ट मण्डफिया में ही स्थापित करने की मांग लम्बे समय से की जा रही है।
- कालूराम गुर्जर, पूर्व अध्यक्ष, ट्रस्ट
होगी उच्च स्तरीय समीक्षा
मुख्य निष्पदान अधिकारी का पद स्वतंत्र हो ऎसे प्रयास होंगे। मंदिर की व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जाएगी। मंदिर की राशि का उपयोग मंदिर के विकास को और गति मिले एवं श्रद्धालुओं को ही इसका लाभ इस संदर्भ में अहम निर्णय किए जाएंगे।
- शंकरलाल बैरवा, विधायक कपासन
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